10 श्लोक जो हर विद्यार्थी को आने चाहिए
संस्कृत श्लोक भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं और इनमें जीवन के गहरे दर्शन, मूल्य, और ज्ञान छिपे हुए हैं। ये श्लोक विद्यार्थियों को न केवल नैतिकता और अनुशासन सिखाते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी संवारते हैं। नीचे दस ऐसे श्लोक दिए गए हैं जो हर विद्यार्थी को जानने और समझने चाहिए। इनका अर्थ सरल और प्रेरणादायक है।
1. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।
अर्थ:
किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए मेहनत और प्रयास करना आवश्यक है। केवल इच्छाएं और कल्पनाएं करने से कार्य सिद्ध नहीं होते। जैसे सोए हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता, उसी प्रकार सफलता पाने के लिए हमें स्वयं ही प्रयास करना पड़ता है।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक बताता है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। आलस्य छोड़कर कर्मशील बनें।
2. वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया ।
लक्ष्मी : दानवती यस्य,सफलं तस्य जीवितं ।।
अर्थ:
जिस व्यक्ति की वाणी मीठी हो, जिसका हर कार्य मेहनत से परिपूर्ण हो और जिसका धन परोपकार में खर्च होता हो, उसका जीवन सफल होता है।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक विद्यार्थियों को सिखाता है कि सफलता का आधार मधुर वाणी, परिश्रम और परोपकार है।
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3. प्रदोषे दीपक : चन्द्र:,प्रभाते दीपक:रवि:।
त्रैलोक्ये दीपक:धर्म:,सुपुत्र: कुलदीपक:।।
अर्थ:
संध्या के समय चंद्रमा दीपक की तरह प्रकाश देता है, प्रातः काल सूर्य दीपक बनता है। तीनों लोकों में धर्म मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है और एक सच्चा पुत्र अपने कुल का दीपक होता है।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक विद्यार्थियों को जीवन में धर्म, सत्य और परिवार के प्रति जिम्मेदारी की महत्ता सिखाता है।
4. प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।।
अर्थ:
मधुर और प्रिय वचन बोलने से सभी लोग संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए हमेशा प्रिय वचन ही बोलने चाहिए। ऐसा करने में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
विद्यार्थी के लिए सीख:
मधुर और सकारात्मक संवाद विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को आकर्षक और प्रभावशाली बनाता है।
5. सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:।
यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।।
अर्थ:
हमेशा विशाल और उपयोगी वृक्ष की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि वह फल और छाया दोनों प्रदान करता है। यदि दुर्भाग्यवश फल न भी मिले, तो उसकी छाया हमेशा काम आएगी।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक बताता है कि हमें ऐसे लोगों और गुणों का अनुसरण करना चाहिए, जो हर परिस्थिति में लाभकारी हों।
6. देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:।
गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।।
अर्थ:
जब देवता भी नाराज हों, तो गुरु रक्षा कर सकते हैं। लेकिन यदि गुरु नाराज हो जाएं, तो कोई भी रक्षा नहीं कर सकता। गुरु ही सबसे बड़े रक्षक हैं। इसमें कोई संदेह नहीं।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक गुरु के प्रति सम्मान और समर्पण का महत्व बताता है। विद्यार्थियों को अपने गुरुजनों का आदर करना चाहिए।
7. अनादरो विलम्बश्च वै मुख्यम निष्ठुर वचनम
पश्चतपश्च पञ्चापि दानस्य दूषणानि च।।
अर्थ:
दान करते समय अपमान करना, देरी करना, मुंह फेरकर देना, कठोर वचन कहना, और देने के बाद पछतावा करना— ये पाँच बातें दान को दूषित कर देती हैं।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक सिखाता है कि कोई भी कार्य सच्चे मन और सही तरीके से करना चाहिए। आधे मन से किए गए कार्य का कोई मूल्य नहीं है।
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8. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।
अर्थ:
जो व्यक्ति हमेशा बड़ों का अभिवादन करता है और वृद्धजनों की सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश, और बल बढ़ते हैं।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक विनम्रता और सेवा भाव के महत्व को दर्शाता है। विद्यार्थियों को अपने माता-पिता, गुरु, और बुजुर्गों का आदर करना चाहिए।
9. दुर्जन:परिहर्तव्यो विद्यालंकृतो सन ।
मणिना भूषितो सर्प:किमसौ न भयंकर:।।
अर्थ:
दुष्ट व्यक्ति यदि विद्या और ज्ञान से युक्त भी हो, तो उसका परित्याग करना चाहिए। जैसे मणि से सुशोभित सर्प भी खतरनाक ही होता है।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक बुरी संगत से बचने की सलाह देता है। विद्यार्थियों को हमेशा अच्छे और सच्चे लोगों का साथ लेना चाहिए।
10. हस्तस्य भूषणम दानम, सत्यं कंठस्य भूषणं।
श्रोतस्य भूषणं शास्त्रम,भूषनै:किं प्रयोजनम।।
अर्थ:
हाथ का आभूषण दान है, गले का आभूषण सत्य है, और कान का आभूषण शास्त्र का ज्ञान है। बाकी बाहरी आभूषणों की कोई आवश्यकता नहीं है।
विद्यार्थी के लिए सीख:
यह श्लोक आंतरिक गुणों को सच्चा आभूषण मानता है। विद्यार्थियों को अपने भीतर सद्गुणों को विकसित करना चाहिए।
श्लोकों का महत्व
ये श्लोक विद्यार्थियों को सही दिशा में प्रेरित करते हैं और उनके जीवन को सार्थक बनाते हैं। प्रत्येक श्लोक में जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू छिपा हुआ है, जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी है।
निष्कर्ष
विद्यार्थी जीवन में संस्कार और नैतिक मूल्यों का होना अनिवार्य है। ये श्लोक विद्यार्थियों को मेहनत, परिश्रम, गुरु भक्ति, मधुर वाणी, और सही संगत का महत्व सिखाते हैं। यदि विद्यार्थी इन श्लोकों को आत्मसात कर लें, तो उनका जीवन सफल और सार्थक बन सकता है।
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